ओर्थोपेडिक प्रैक्टिस के अंतर्गत कंधे का अपनी जगह से हट जाना जिसे ” डिस्लोकेशन ” कहते हैं, एक आम डिस्लोकेशन है. जितने भी केसेस एक ओर्थपेडीक क्लिनिक में आते हैं उनमे से लघबघ 50 % मामले कंधे के डिस्लोकेशन के होते हैं. यह हर आयु के लोगों को सकता है , परन्तु ज्यादातर यह युवा वर्ग के सक्रिय पुरुषों में पाया जताई है, जिनकी उम्र तीस वर्ष से कम हो।
कंधे की जोड़ की संगरचना को आप एक गोल्फ बॉल एवं टी (जिस पर गोल्फ बॉल को रखा जाता है) की तरह मान सकते हैं . एक समय में हुमेरेल हेड का केवल एक चौथाई भाग ही ग्लेनोइड के संपर्क में आता है . इसीलिए बोनी आर्टिक्युलेशन स्वाभाव से अस्थिर होती है. जोड़ों के आस पास जो सॉफ्ट टिशू कवर होता है वह प्रमुख रूप से डिस्लोकेशन को होने से बचाने का प्रयत्न करता है ।
चोट की प्रक्रिया:
कंधे के डिस्लोकेशन का पहला एपिसोड आमतौर पर दर्दनाक होता है। एक दर्दनाक एंटीरियर कंधे का डिस्लोकेशन ज्यादातर उस स्थिति में होता है जब आपका हाथ किसी गेंद या वास्तु को फेंकने के लिए खिंचा हुआ हो और और आप बाजु के बल गिर जाएँ . । 90% से अधिक कंधे के डिस्लोकेशन एंटीरियर होते हैं (बाजु की हड्डी का सर अपने जगह से हटकर शोल्डर ब्लेड के सामने आजाता है) एवं पोस्टीरियर शोल्डर डिस्लोकेशन (हाथ की हड्डी का सिर कंधे के ब्लेड के पीछे आ जाता है) दुर्लभ होते हैं। पोस्टीरियर डिस्लोकेशन के प्रमुख कारन कन्क्लूसिव डिसऑर्डर एवं बिजली का झटका लगना हैं ।
25 वर्ष की उम्र से कम युवाओं में एक बार कंधे का डिस्क्लोक्शन होने के बाद पुनः होने की सम्भावना अधिक होती है ।
कंधे के डिस्लोकेशन की देखभाल:
डिस्लोकेशन की पुष्टि करने के लिए एक्स रे की आवयश्कता होती है , इससे ये भी पता लग जाता है की किसी और प्रकार का सम्बंधित डिस्लोकेशन तो नहीं है । एक डिस्लोकाते हुए कंधे को तुरंत सही करना आवश्यक है। आजकल नई विधियों को तैयार किया गया है, जिसके द्वारा अधिकांश कंधे के डिस्लोकेशन को बिना दवा एवं दर्द के सही जगह पर ला दिया जाता है ।
एक्स रे में डिस्लोकेट हुआ कन्धा ।
बारम्बार होने वाले कंधे के डिस्लोकेशन के लिए क्या उपाय है?
कई बार ऐसे होता है की कंधे के जोड़ में कुछ स्ट्रक्चरल इंजरी (जैसे की लबरल इंजरी ) जो कंधे के डिस्लोकेशन के पहली बार होने पर पूर्णतः सही नहीं हुई थी, पुनः डिस्लोकेशन होने का कारन बन सकती हैं । आपको उन कमजोर स्तिथियो से बचना होगा जिनके कारन शोल्डर दोबारा डिस्लोकेट हो सकता है , जैसे की ऊपर बताई गयी गेंद फेंकने वाली स्थिति । आजकल बारम्बार होने वाले कंधे के डिस्लोकेशन के लिए बहुत ही प्रभावी एवं मिनिमली इनवेसिव अर्थरोस्कोपिक सर्जरी (इस सर्जरी में बहुत छोटे या कम चीरे लगा कर छोटा सा ऑपरेशन किया जाता है ) उपलब्ध हैं । अर्थरोस्कोपिक रिपेयर में फाटे हुए लबरम को फिर से सुचर एंकर की मदद से हड्डी में जोड़ दिया जाता है ।
फेंकने की स्थिति बारम्बार होने वाले “कंधे के डिस्लोकेशन” के रोगी में दर्दनाक होती है ।
ABOUT THE AUTHOR
TESTIMONIAL
मेरा दाए पैर में चोट लगने के कारण टेढ़ा हो गया था जिसकी वजह से मुझे चलने में भी परेशानी हो रही थी. डॉ जितेश ने ऑपरेशन कर के इसे सीधा किया. में बिलकुल ठीक हूँ .
मेरी बेटी के घुटने में इन्फेक्शन होने के कारण वो दर्द की वजह से सो भी नहीं पाती थी. डॉ जितेश ने ऑपरेशन कर के इसे ठीक किया. बहुत धन्यवाद।
remember that Dr. Jain came out from his clinic to see my mother because my mother was not able walk a single step. He did total knee replacement on both side and now my mother is walking without aid.
OPENING HOURS
Monday – Friday | 16:00 – 20:00 |
Sunday | OFF |