घुटना रीप्लेस्मेंट से जुड़े मिथक़
नया घुटना क़ेवल 10 साल चलता है–
मॉडर्न टेक्नॉलजी और ऐड़वाँस बायोमटेरीयल के साथ बदले जाने वाले घुटने 20-25 साल या ज्यादा चलते है।टोटल नी रेप्लेस्मेंट की उम्र unicondylar नी रेप्लेस्मेंट ( हाफ़ नी रेप्लेस्मेंट) से अधिक होती है। पूल्ड रेजिस्ट्री डेटा से ये देखा गया है कि 80% से ज्यादा टोटल नी रेप्लेस्मेंट और 70 % unicondylar ( हाफ़ नी रेप्लेस्मेंट) 25 साल तक या अधिक चल जाते है। मॉडर्न नी रेप्लेस्मेंट इम्प्लांट्स टायटेनीयम या कोबॉल्ट- क्रोमीयम के बने होते है। इनके बीच मै लगने वाला टिबीयल इन्सर्ट अल्ट्रा हाई मोलिक्यूलर वेट पोलीएथेलीन से बना होता है जो इंप्लांट की उम्र को काफ़ी बढ़ा देता है।
मोटे लोगों में घुटना प्रत्यारोपण के अच्छे परिणाम नहीं आते-
घुटने के दर्द के साथ वजन कम करना बहुत मुश्किल होता है। अत्यधिक मोटे लोगों में भी नी रेप्लेस्मेंट के उतने ही अच्छें परिणाम देखने को मिलते है जितने और लोगों में, बस इनकी सर्जरी में अनुभव और तकनीकी दक्षता की ज़रूरत होती है।
इस सर्जरी में असहनीय दर्द होता है-
मॉडर्न पैन मैनेजमेंट के साथ ये लगभग दर्द रहित सर्जरी है। मल्टी मोडैलिटी पैन मैनेजमेंट के साथ बहुत मामूली सा दर्द होता है जो आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है।मल्टी मोडैलिटी पैन मैनेजमेंट मै एपिडूरल इन्फ़्यूज़न पम्प की सहायता से निरंतर दर्द निवारक दवा को शरीर मै दिया जा सकता है जो इस सर्जरी को लगभग दर्द रहित बना देता है। इसके अलावा दर्द निवारक ट्रांस डर्मल पैचेज़ और इंटरा वीनस पैन इन्फ़्यूज़न पम्प्स इस पैन मैनेजमेंट कंट्रोल के अहम हिस्से है।बड़े हास्पिटल मै जहां जोईंट रेप्लेस्मेंट सर्जरीज़ रेगुलर बेसिस पर होती है वहाँ पैन मैनेजमेंट नर्स सर्जिकल टीम का मुख्य पार्ट होती है जिसका काम दर्द को कंट्रोल करना होता है।
सर्जरी के तुरंत बाद खड़ा करने से या उसी दिन चलने से ही अच्छे परिणाम आते है-
सर्जरी का उद्देश्य आपको उसी दिन चलाना नहीं बल्कि वो घुटना प्रत्यारोपित करना है जो लंबा या ज़िंदगी भर चले। घुटना बदलने के तुरंत बाद मरीज़ को खड़ा किया जा सकता है, लेक़िन इससे परिणाम में कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। सर्जरी के अगले दिन स्पाइनल ऐनेस्थीसिया की दृष्टि से भी उठना सुरक्षित है और सर्जिकल साइट से ब्लड पाइप और यूरिन की नली भी निकल जाती है। मरीज़ की ड्रेसिंग भी चेंज हो जाती है और इन सब के कारण मरीज बहुत रिलैक्स महसूस करता है। सर्जरी के बाद ये मरीज़ को चलना शुरू करने के लिए सबसे उपयुक्त समय है।इसलिए सर्जरी के अगले दिन आप आराम से बेठ सकते है और चल सकते है।
मेरी आयु अधिक होने से में सर्जरी के लिए फ़िट नहीं हूँ-
सर्जरी से पहले आपकी फ़िट्नेस जाँचने के लिए ब्लड और हार्ट के कुछ टेस्ट होते है, यदि ये सही है तो आप किसी भी उम्र में सर्जरी करवा सकते है। हार्ट डिज़ीज़, डायबिटिज़, व अधिक उम्र के मरीजो मै एक बार मै एक घुटना या दोनो घुटने एक साथ बदलने का निर्णय सर्जन व anaesthetist ( सर्जरी से पहले बेहोश करने वाले डाक्टर) रिस्क के अनुसार लेते है।
Knee replacement is possible even at age of 90 years or above
गोल्ड नी रेप्लेस्मेंट के ज्यादा अच्छें परिणाम आते है-
अभी ऐसी कोई भी स्टडी नहीं है जो इस बात को सपोर्ट करे। ये सिर्फ़ उन मरीजो में ज्यादा उपयुक्त है जिनको मेटल ऐलर्जी है।
गोल्ड नी पर वास्तव मै टायटेनीयम नेओबियम नाईट्राइड/ Titanium Niobium Nitride (TiNiN) की कोटिंग होती है जो सोने जैसी गोल्डन आभा देती है। इस कारण ये सोने जैसा दिखायी देता है।
घुटना बदलने के बाद में ज़मीन पर नहीं बैठ सकता या कार नहीं चला सकता-
Knee movements with highflex knee replacements
हाई फ़्लेक्स नी रेप्लेस्मेंट के बाद 6-8 हफ़्ते मै आप सारे काम कर पाते है। इंडियन पेशंट्स को अपने कई रूटीन कार्यों के लिए हाई स्क्वॉट ( 130 डिग्री या अधिक घुटना मुड़ना) की ज़रूरत होती है जैसे इंडियन टॉयलेट का उपयोग करना या कुछ धार्मिक कार्यों के लिए ज़मीन पर बैठना। हमारे लगभग सारे काम घुटने के 110 डिग्री मूवमेंट तक हो जाते है और इतना मूवमेंट लगभग सभी मरीज़ों मै आ जाता है। इससे अधिक मूवमेंट आना कई फ़ैक्टर् पर निर्भर करता है जिसने सर्जिकल टेक्नीक के अलावा सबसे महत्वपूर्ण है सर्जरी से पहले आपके घुटने का मूवमेंट और आपका वजन। सर्जरी से पहले घुटने की चाल ( घुटने की रेंज) जितनी कम होती है सर्जरी के बाद 110 डिग्री से अधिक मूवमेंट आने के चान्स उतने ही कम होते है। अधिक वजन वाले ( high BMI) मरीज़ों मै भी 110 डिग्री से अधिक मूवमेंट आने में दिक़्क़त आती है।
नयी तकनीक से घुटना बदलने पर सर्जरी के बाद घुटने की कसरत करने की ज़रूरत नही पड़ती-
ये भी एक मिथ है। नी रेप्लेस्मेंट के बाद मरीज़ को बेहतर परिणाम के लिए शुरू के कुछ हफ़्तो में हमेशा एक्सरसाइज़ करने की सलाह दी जाती है l ना सिर्फ़ घुटना प्रत्यारोपण बल्कि घुटने की किसी भी सर्जरी के बाद घुटने की रेंज (वापस मोड़ना और सीधा करना )और ताक़त लाने के लिए एक्सरसाइज़ करने की सलाह दी जाती है।घुटने की सर्जरी की बाद जाँघ की माँसपेशी ( क्वॉड्रिसेप्स) कमजोर हो जाती है। इससे सीढ़ियाँ चढ़ने उतरने मै और चलने मै दिक़्क़त आती है। जाँघ की माँसपेशी ( क्वाड्रिसेप्स और हैम्स्ट्रिंग) की ताक़त बढ़ाने वाली और घुटना मोड़ने वाली कसरत करने से रिकवरी मै आसानी होती है!
ABOUT THE AUTHOR
TESTIMONIAL
मेरा दाए पैर में चोट लगने के कारण टेढ़ा हो गया था जिसकी वजह से मुझे चलने में भी परेशानी हो रही थी. डॉ जितेश ने ऑपरेशन कर के इसे सीधा किया. में बिलकुल ठीक हूँ .
मेरी बेटी के घुटने में इन्फेक्शन होने के कारण वो दर्द की वजह से सो भी नहीं पाती थी. डॉ जितेश ने ऑपरेशन कर के इसे ठीक किया. बहुत धन्यवाद।
I remember that Dr. Jain came out from his clinic to see my mother because my mother was not able walk a single step. He did total knee replacement on both side and now my mother is walking without aid.
OPENING HOURS
Monday – Friday | 17:00 – 20:00 |
Sunday | OFF |