धावकों में पाँव में दर्द या शिन स्प्लिन्ट्स या मीडियल टिबियल स्ट्रेस सिंड्रोम

शिन स्प्लिन्ट्स – पिंडली में दर्द 

धावकों में दौड़ने पर पाँव में होने वाला दर्द या शिन स्प्लिन्ट् एक दर्दनाक स्तिथि है जहाँ पिंडली के पास, सही रूप से, पांव के सामने या अंदर और पीछे के किनारे पर दौड़ने, कूदने या कोई खेल कूद वाली गतिविधि करने से दर्द होता है। एथलीटों में यह आम है, विशेष रूप से धावकों में। यह रनिंग या जंपिंग के कारण पांव की हड्डी (टिबिया) के बार बार होने वाली स्ट्रेस लोडिंग के कारण होता है। धावकों में ये दर्द अचानक दौड़ने की गति बदलने या दौड़ने की दूरी या उस सतह को बदलने, जिस पर एथलीट रन करता है, की वजह से भी हो सकता है ।

शिन स्प्लिन्ट्स के लक्षण:

रनिंग करने या बार बार कूदे जाने के बाद में पांव के सामने या अंदर और पीछे के किनारे पर दर्द होता है। रनिंग जारी रखने पर दर्द बहुत अधिक हो सकता है । सामान्यतया दर्द दौड़ने के दौरान शुरू होता है और दौड़ने के बाद तक रह सकता है। ज्यादातर ये दर्द एक पैर में होता है जो प्रमुख होता है (दाहिने हाथ से काम करने वाले में दाहिना पैर)|

धावकों में शिन स्प्लिन्ट्स का क्या कारण है?

शिन स्प्लिंट एक अति प्रयोग (ओवर यूज करने पर ) की चोट है। नए धावक जब अति उत्साहित होके शुरू से ही बहुत तेज या बहुत ज्यादा दोड़ते है या खिलाड़ी शुरुआत में ही कड़ी मेहनत करते है तो पिंडली की मांसपेशिया स्टिफ या सख्त हो जाती है। इससे दौड़ते हुए फुट मैं अत्यधिक प्रोनैशन होता है और लैंड करते समय लेग के अंदर की तरफ रोटेशन से शिन स्प्लिनट्स की संभावना बढ़ जाती है। उन खिलाड़ियों मैं भी शिन स्प्लिनट्स की संभावना ज्यादा होती है जिनमे फ्लैट फ़ीट(चपटे पाँव), स्टिफ काफ मसल्स, या पंजे मैं रिजिड आरचेस होती है। दौड़ने की गति या समय में अचानक बदलाव से भी शिन स्पलिंट होने की सम्भावना बढ़ जाती है। शुरुआत में अधिक समय के लिए या अधिक दुरी तक दौड़ने से शिन स्पलिंट हो सकता है

शिन स्प्लिंट्स का इलाज कैसे करें ?

दर्द होने पर 1-2 सप्ताह के लिए आराम करें, खेल या दौड़ से दूर रहे | पांव पर जहां पर दर्द हो वहाँ बर्फ का सेक (बीस मिनिट हर दो घंटे में ) करें और कम्प्रेशन मोज़े पहनें इससे दर्द एवं सूजन में आराम मिलेगा । काफ या पिंडली की मांसपेशियों के व्यायाम, एखिलीस टेंडन और हिप एबडक्टर्स को मजबूत करने के व्यायाम , अधिकांश नए खिलाड़ियों में उपचार के मुख्य आधार हैं। शिन स्प्लिनट्स को बार बार होने से रोकने के लिए शरीर की कोर मसल्स (एब्डोमिनल और पेल्विक मसल्स) की ताकत को बढ़ाना भी जरूरी है। दर्द को दूर करने के लिए आप चिकित्सक की सलाह से दर्द निवारक दवाएं (NSAIDS) ले सकते हैं। शुरुवाती आराम के बाद दो हफ्ते के लिए एयर कास्ट में वाकिंग (चलना) करें । फिर 4 से 6 सप्ताह के लिए एयर कास्ट में जॉगिंग करें । यदि दर्द फिर से शुरू हो जाता है, तो एयर कास्ट में चलना / टहलना 8 सप्ताह तक बढ़ाये। उसके बाद दौड़ना धीरे धीरे शुरू करें । दर्द बढ़ने या ठीक नहीं होने पर स्पोर्ट्स इंजरी स्पेशलिस्ट की सलाह ले।

ओर्थोटिक्स : जिन खिलाड़ियों मैं फ्लैट फ़ीट(चपटे पाँव) होते है , उनमें चलते या दौड़ते समय मीडियल आर्च सपोर्ट फुट के ओवर प्रोनेशन को सही करने में मदद करता है। आर्च सपोर्ट को अच्छी क्वालिटी के स्पोर्ट्स शूज मैं लगाकर इस्तेमाल करे।

शिन स्प्लिंट्स के लिए व्यायाम:

  1. पैर की अंगुली के व्यायाम: एक तौलिया पर खड़े हों और पैर की उंगलियों से इसे इकट्ठा करें और इसे अपनी ओर खींचें। इसे 15 बार दोहराएं और फिर दूसरे पैर से करें।
  2. पैर की अंगुलियों को स्ट्रैच करे: अपने पैर की उंगलियों पर चित्र में दिखाए अनुसार बैठें। इस स्थिति को 30-45 सेकंड तक बनाए रखें। इसे 5-7 बार दोहराएं।
  3. एड़ी को स्ट्रेच करे : जिस पाँव की कसरत करनी है उसके पंजे से एक स्टेप या सीढ़ी के किनारे पर खड़े होये और एड़ी को हवा मैं रखे। आप सहारे के लिए रेलिंग पकड़ सकते है। अब धीरे धीरे ऐड़ी को नीचे लाये। आप एड़ी के पीछे और ऊपर एक खिंचाव महसूस करेंगे। एक दो सेकंड रुक कर वापस पाँव ऊपर सीधा करले। इसे 20 बार एक पाँव से और फिर दूसरे पाँव से दोहराए।
  4. शिन स्ट्रेच : चित्र में दिखाए अनुसार अपनी एड़ी पर बैठें। अपनी एड़ी और टखनों को साथ रखें और कोशिश करें कि आप अपनी एड़ी के बीच में न बैठें। इस स्थिति को 15-20 सेकंड के लिए रखें और फिर आराम करें। इसे 15 बार दोहराएं। चित्र में दिखाए अनुसार आप कुर्सी या स्टूल पर बैठकर भी अपनी (शिन) पिंडली को फैला सकते हैं।
  5. खड़े होकर शिन स्ट्रेच: आप खड़े होने की स्थिति में भी पिंडली (शिन) को स्ट्रेच कर सकते हैं । अपने पैर की उंगलियों को छत की ओर इंगित करें और फिर चित्र में दिखाए अनुसार पैर नीचे करें। आप अपने पैर में सामने खिंचाव महसूस करेंगे। इस अभ्यास को 20 बार दोहराएं।
  6. एड़ी उठाना : खड़े होकर अपनी एड़ी ऊपर उठाना। इसे 15 सेकंड तक बनाए रखें और फिर आराम करें। 15 पुनरावृत्ति करें।
  7. पैर की उंगलियों पर चलें : 30 से 60 सेकंड के लिए अपने पैर की उंगलियों पर चलें और 15 बार दोहराए
  8. हिप एब्डक्टर को मजबूत करें : कई अध्ययनों से पता चला है कि धावक जो शिन स्प्लिंट से पीड़ित हैं, उनके हिप एब्डक्टर मसल्स कमजोर होते हैं। इससे दौड़ते और कूदते समय उनकी लैंडिंग प्रभावित होती है। पिंडली के दर्द को रोकने के लिए हिप स्ट्रेंथ बढ़ाना बहुत जरूरी है।हिप एब्डक्टर को मजबूत करने के लिए व्यायाम नीचे दिए गए हैं|सिंगल लेग लंज: जैसा कि तस्वीर में दिखाया गया है, अपने कूल्हे को उठाएँ और 10 सेकण्ड्स के लिए इसे उठा कर रखे। फिर 1-2 सेकण्ड्स के लिए रिलैक्स करें । इस अभ्यास को 15 बार दोहराएं।एब्डक्टर स्ट्रेचिंग: अपनी एक साइड पर चित्रानुसार लेटे| अपने कूल्हों को फर्श से सीधा रखें, पीछे की ओर झुकें नहीं और अब अपने घुटनों को खोलें जैसा कि नीचे दी गई तस्वीर में दिखाया गया है। जितना संभव हो उतना खोलें और फिर वापस प्रारम्भ की स्थिति मे आ जाये। इसे 15-20 बार दोहराये।
    हिप एब्डक्टर थैरा बैंड कसरते : अपनी एक साइड पर चित्रानुसार लेटे और अपने पैरों के चारों ओर एक थैरा बैंड(इलास्टिक बैंड)लपेटें |फिर अपने पैर को थैरा बैंड के प्रतिरोध के खिलाफ उठाये। 10 सेकण्ड्स के लिए इसे उठा कर रखेऔर फिर वापस नीचे लाएं। 15-20 पुनरावृत्ति करें।
  9. शरीर की कोर स्ट्रेंथ मसल्स (एब्डोमिनल और पेल्विक मसल्स) की ताकत को बढ़ाना भी जरूरी है। इसके लिए फोरआर्म प्लान्क करें। अपने पैरों को कूल्हे की चौड़ाई के बराबर अलग रखें और कोहनी को कंधे की सीध में रखें। 45 सेकंड के लिए इस स्थिति को बनाये रखे और इसे 2 बार दोहराएं।

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TESTIMONIAL

मेरा दाए पैर में  चोट लगने के कारण टेढ़ा हो गया था जिसकी वजह से मुझे चलने में भी परेशानी हो रही थी. डॉ जितेश ने ऑपरेशन कर के इसे सीधा किया. में बिलकुल ठीक हूँ .

Bharat Lal

मेरी बेटी के घुटने में इन्फेक्शन होने के कारण वो दर्द की वजह से सो भी नहीं पाती थी. डॉ जितेश ने ऑपरेशन कर के इसे ठीक किया. बहुत धन्यवाद।

Ramji Lal

I remember that Dr. Jain came out from his clinic to see my mother because my mother was not able walk a single step. He did total knee replacement on both side and now my mother is walking without aid.

Mr. Manoj

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Arthroscopic surgeries are key hole surgeries for joint disorders. They offer less hospital stay and speedy recovery.

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A common sports injury which usually happens over time from normal wear and tear of muscles and tendons.

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